मुजे सागर बना गया!!
हर कतरा-ए-लहुं रंग-ए-हिना बनके छा गया, तासीर-ए-लहुं यादे, दिल-ए-रूह खिला गया. छाया आसमान-ए-ज़मीं, पत्ता पत्ता हिल गया, खूश्बु-ए-रात रानी की, गुलाबों में मिला गया. कर गये ज़िन्दगी को अस्त-ए-व्यस्त मेघ जैसी, तो कभी बंसी वाले श्याम को स्वर्ण बना गया. चाँद सूरज टिके रहे और टिका ध्रुव भी वहीँ, मेरा समस्त [...]
Great_linesofficial says:
sejal ramanuj says:
Harshad says: